दुलार और ममता है जैसी,
वैसी सहज और प्यारी पुकार है ।
हर मोड़ पर राह दिखलाती,
आंचल की छाँव में छिपाए नहीं,
धूप का सामना करना सिखाए ।
मुसीबत में थामे नहीं ,लड़ना सिखलाए,
ऐसी मेरी माँ है।
छुपाती नहीं दुलार के घेरे में,
स्वावलंबन और दृढ़ता पढ़ाती है ।
संघर्ष से बचाए नहीं, बढ़ाए मनोबल,
ऐसी मेरी माँ है।
समझाती शत्रु को पहचानना है ।
बताती सबकी सुनना पर स्वयं निर्णय करना,
ऐसी मेरी माँ है।
डर से बचाती नहीं,
भयभीत से भयहीन बनाती है ।
सिखाए निर्भर से बनना आत्मनिर्भर,
ऐसी मेरी माँ है।
अश्रु देख अश्रु न बहाए,
सिखाती दुःख निकाल आग बढ़ना है ।
खुशी की नींव आशावाद बतलाती है,
ऐसी मेरी माँ है।
मौज के वक्त मौज, काम की जगह काम सिखाती है ।
समय अनुसार सख्ती से भी,
कामयाबी नहीं काबिलियत का पाठ पढ़ाती है,
ऐसी मेरी माँ है।
सही गलत का मोल सिखलाती,
हर राह पर मार्गदर्शन देती है।
हार से भी सीख लेकर जीतना बताए,
ऐसी मेरी माँ है।
पुरातन की छवि रखते हुए,
अपनाती नवीन ममता है ।
आधुनिक जीवन में जीना-लड़ना सिखाए,
ऐसी मेरी माँ है।
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